ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया

ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया यह प्रश्न बहुत से अधर्मी उठाते हैं और सनातन धर्म को अपमानित करने की कोशिश करते हैं।

इस तरह की कई सारी कहानियां बना कर सोशल मीडिया में हिंदुओ को अपमानित करने के लिए डाल दिया गया है।

ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया यह सवाल बहुत से हिंदुओ के मन में भी रहता है लेकिन सच्चाई ये है की ब्रह्मा जी ने कभी भी विवाह ही नहीं किया तो अपनी पुत्री से विवाह का प्रश्न ही नहीं उठता।

आईए समझते हैं यह प्रश्न कहां से उठा और इस प्रश्न की सच्चाई क्या है?

ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया

ब्रह्मा जी श्रृष्टि के रचियता हैं रचियता मतलब रचने वाले या बनाने वाले ना की पैदा करने वाले।

ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि को चलाने के लिए मनु और सतरूपा का निर्माण किया।

यही मनु और सतरूपा ने ही पृथ्वी पर मानवों का वंश आगे बढ़ाया।

सतरूपा और मनु ब्रह्मा जी का निर्माण थे ना की पुत्र या पुत्री। 

बहुत से लोग जिनको सनातन धर्म का ज्ञान नहीं है वो सतरूपा को ही सरस्वती बोलते हैं और कहते हैं की सतरूपा ब्रह्मा जी की पुत्री थीं।

जिस तरह इस्लाम में माना जाता है की अल्लाह ने आदम की रचना की तो इसका मतलब ये नहीं हुआ की अल्लाह ने आदम को पैदा किया और आदम अल्लाह का पुत्र हो गया।

आदम अल्लाह की सिर्फ एक रचना है। इसी तरह ईसाइयों में माना जाता है की परमेश्वर ने एडम की रचना की इसका भी मतलब वही हुआ की एडम को पैदा नहीं किया बस रचना की।

सभी धर्म ग्रंथों में इसी तरह की बातें लिखी हुई है।

फिर ये बात हिन्दू धर्म पर ही क्यों उछाला जाता है क्योंकि हिंदुओ को अपने धर्म का ज्ञान ही नहीं है और वो बताई हुई किसी भी बात तो बिना सत्यापित करे हुए मान लेते हैं।

अब दूसरी बात ये है की ब्रह्मा जी का कभी विवाह ही नहीं हुआ तो पुत्री कहां से होगी।

यही प्रश्न आप किसी मुसलमान से पूछिए की क्या अल्लाह की शादी हुई है या ईसाई से पूछिए की क्या परमेश्वर की शादी हुई है आपको खुद ही जवाब मिल जायेगा।

अब आते हैं कुछ अन्य तथ्य पर जैसे की हमारे वेदों को ब्रह्मा कहा जाता है और ज्ञान को सरस्वती कहा गया है।

इसी वजह से अधिकतर ब्रह्मा जी और सरस्वती जी का नाम कई बार साथ लिया जाता है।

हमारे धर्म ग्रंथों का अनुवाद संस्कृत से हिन्दी में किया गया है जिसकी वजह से कई जगह लोग उसकी गलत व्याख्या कर देते हैं जैसे अंग्रेजी भाषा में भिंडी को लेडी फिंगर कहा जाता है तो इसका मतलब हिंदी में क्या निकला “औरत की ऊंगली” अब आप ही बताएं क्या यह सही है।

इसी तरह संस्कृत के हिंदी में अनुवाद के समय गलत तरीके से कई शब्दों की व्याख्या कर दी गई है जो सालों से चली आ रही है और इसी का फायदा अधर्मी उठाते हैं।

अगर आप लोगों से कहेंगे की किस पुराण या वेद में संस्कृत में लिखा है की ब्रह्मा जी ने सरस्वती माता से विवाह किया तो वह नहीं दिखा पाएंगे।

कुछ लोग बोलेंगे की सरस्वती पुराण में लिखा है की ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह किया जबकि सच यह है की हमारे 18 पुराणों में से सरस्वती पुराण के नाम से कोई पुराण है ही नहीं।

कुछ और भी ज्ञानी निकलेंगे और बोलेंगे की शिव पुराण और मत्स्य पुराण में लिखा है तो उनसे पूछिए की इन पुराण के संस्कृत श्लोक में क्या लिखा है? वो नहीं बता पाएंगे क्योंकि ऐसा कहीं नहीं लिखा है।

यह सिर्फ आपको नीचा दिखाने के लिए ऐसी अफवाह और बेबुनियाद बातें बोलते हैं।

भारत में मुगलों के आक्रमण के बाद हमारे अधिकांश धर्म ग्रंथ नष्ट कर दिए गए और उनकी मूल प्रतियां भी बहुत ही कम बची हैं।

अधिकतर ग्रंथों को दुबारा लिखा गया है और उसमें उल्टे सीधे तथ्य डाल दिए गए हैं ताकि हिन्दू धर्म को अपमानित कर सकें।

हिन्दू धर्म ग्रन्थों के संस्कृत में लिखे हुए श्लोक को ही प्रमाणिक मानिए क्युकी इसमें मिलावट होने की संभावना कम हो जाती है।

वैसे बहुत से ग्रंथों में संस्कृत में भी मिलावट कर दी गई है ताकि हिंदुओ को पथ भ्रष्ट करके उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा सके।

तो अगली बार कोई आपसे कहे की ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री से विवाह क्यों किया तो उसको उचित उत्तर जरूर दीजियेगा और साथ ही इस बात का सोर्स भी मांगिएगा।

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