शरीर में नॉर्मल ब्लड शुगर का होना बहुत जरूरी होता है।
ब्लड शुगर का स्तर बढ़ना और घटना दोनों ही खतरनाक होता है। आपको डायबिटीज है या नहीं इसको चेक करने के लिए ब्लड शुगर का स्तर नापा जाता है।
खाली पेट ब्लड शुगर का स्तर एक निश्चित लेवल तक होना चाहिए अगर यह स्तर एक निश्चित सीमा से अधिक जा रहा है तो आपको डायबिटीज हो सकती है।
आईए जानते हैं की खाली पेट शुगर कितनी होनी चाहिए
फास्टिंग ब्लड शुगर क्या होती है
फास्टिंग ब्लड शुगर का मतलब होता है की 8 से 10 घंटे की फास्टिंग के बाद आपके ब्लड में शुगर का स्तर कितना है।
इन 8 से 10 घंटे की फास्टिंग के दौरान आपको कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए, हां पानी पी सकते हैं।
खाली पेट शुगर कितनी होनी चाहिए
खाली पेट शुगर को mg/dL में नापा जाता है और इसकी तीन कैटेगरी होती है
नॉर्मल – 70 mg/dL से 99 mg/dL
बॉर्डर लाईन – 100 mg/dL से 125 mg/dL
डायबिटीज – 126 mg/dL या इससे अधिक
कौन-कौन सी बातें फास्टिंग ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती हैं
- कार्बोहाइड्रेट और मीठा का सेवन फास्टिंग ब्लड शुगर को बढ़ा देता है
- अगर आप शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं हैं तो आपका ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है
- मोटापा की वजह से फास्टिंग ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा हुआ आ सकता है
- अधिक तनाव की वजह से भी फास्टिंग ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है
- अगर आपके पैरेंट्स में किसी को डायबिटीज है तो आपको भी डायबिटीज होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है
शुगर ब्लड में कैसे आती है
जब भी हम कुछ खाते हैं खासकर कार्बोहाइड्रेट तो हमारा शरीर कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तोड़ देता है। ग्लूकोज छोटी आंत में जाकर हमारे ब्लड द्वारा अवशोषित हो जाता है।
ब्लड में आने के बाद यह ग्लूकोज कोशिकाओं द्वारा अपनी जरूरत के अनुसार अवशोषित कर लिया जाता है।
कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज का अवशोषण इन्सुलिन नामक हार्मोन द्वारा होता है जो पैंक्रियाज द्वारा बनाया जाता है।
जब भी हम कुछ खाते हैं तो शरीर का ग्लूकोज लेवल बढ़ता है और उसी अनुपात में पैंक्रियाज इन्सुलिन बनाता है जो इस ग्लूकोज को कोशिकाओं द्वारा अवशोषित करने में सहायता करता है।
जब पैंक्रियाज में कोई समस्या हो जाती है या पैंक्रियाज इन्सुलिन नहीं बना पाता तो यह ग्लूकोज हमारे ब्लड में जमा होने लगता है और इसी बढ़े हुए ग्लूकोज को हम ब्लड टेस्ट में नापते हैं।