मालदीव एक हिंदू बाहुल्य देश से इस्लामी राष्ट्र कैसे बना?

मालदीव हिंद महासागर में भारत के दक्षिण में 750 किलोमीटर दूर एक देश है जिसमें 1192 द्वीप समूह हैं।

मलद्वीप का नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ होता है द्वीपों की माला।

ईसा के 500 वर्ष पूर्व गुजरात और राजस्थान से लोग जाकर मालदीव में बस गए थे और वहां की भाषा धिवेही (Dhivehi) थी जिसमे भारतीय भाषाओं का प्रभाव था।

जो धिवेही अब बोली जाती है उसमें अरेबिक प्रभाव अधिक है।

मालदीव में पहले हजारों की संख्या में मंदिर थे और वहां हिंदू देवी देवताओं की पूजा की जाती थी। 250 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने वहां बुद्ध धर्म की स्थापना के लिए अनुयाई भेजे।

12 शताब्दी तक बौद्ध वहां का मुख्य धर्म बना रहा।

फिर 12 शताब्दी में अरब के व्यापारी वहां आए और उन्होंने इसे व्यापार के लिए सबसे अच्छी जगह समझा क्योंकि यहां से वो इंडोनेशिया और भारत दोनों में अपना व्यापार फैला सकते थे।

यहां पर मुस्लिमों ने अपनी बस्ती बसानी शुरू की और अपनी आक्रमणकारी और दमनकारी नीतियों की वजह से उन्होंने यहां से बुद्ध धर्म का सफाया कर दिया। सबसे पहले इन लोगों ने अपनी जनसंख्या बढ़ाई और फिर दूसरे धर्मों के कार्यों में व्याधान डालना शुरू किया। जो मुस्लिम में कनवर्ट नहीं हुए उनको या तो भगा दिया गया या मार डाला गया।

 1153 में बौद्ध राजा धोवेमी कलामिंजा जिन्हें त्रिबुवान अदितीय भी कहा जाता था को तलवार की नोक पर इस्लाम में कनवर्ट करा लिया गया, उनकी घर की महिलाओ को बंदी बना लिया गया और उनका नाम बदल कर मुहम्मद अल अदिल अब्दुल्ला कर दिया गया।

इस तरह पूरा मालदीव इस्लाम में बदल दिया गया।

16 शताब्दी के बाद यहां पुर्तगाल, डच और अंग्रेजो का प्रभाव रहा और सन 1953 में मालदीव एक स्वतंत्र देश बना।

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