साईं बाबा हिंदू है या मुस्लिम

जैसे-जैसे हिंदुओ को अपने इतिहास का ज्ञान हो रहा है वैसे-वैसे इतिहास के कई झूठ खुल रहे हैं और उनमें से एक सबसे बड़ा सवाल यह पूछा जा रहा है की साईं बाबा हिंदू हैं या मुस्लिम।

अगर साईं बाबा का पूरा इतिहास खंगाला जाए तो आपको पता चल जायेगा की साईं बाबा एक मुस्लिम थे और एक साजिश के तहत उनको हिंदू धर्म के अंदर एक भगवान बनाकर पेश कर दिया गया।

आईए जानते हैं की साईं बाबा का इतिहास क्या था और वो मुस्लिम कैसे थे

साईं बाबा हिंदू हैं या मुस्लिम

साईं एक फारसी शब्द है और भारत में यवन से आए मुस्लिमों को साईं कहा जाता था।

उस वक्त जब साईं बाबा शिरडी के जिस गांव में रहने आए वहां के लोगों को उनका लुक (देखने में और वेषभूषा) यवन के मुस्लिम की तरह लगा इसीलिए वहां के लोग उनको साईं बोलने लगे।

साईं के जन्म के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन बहुत से लोग मानते हैं की साईं का जन्म 28 सितंबर 1835 के आसपास हुआ।

हालांकि यह सिर्फ अनुमान ही है क्योंकि खुद साईं बाबा को अपनी जन्मतिथि याद नहीं थी।

साईं बाबा के बचपन का नाम चांद मियां था और इनके पिता का नाम बहरुद्दीन था।

बहरुद्दीन एक अफगानी लुटेरा था जो किसी जगह को चिन्हित करके लूटपाट करता था और बाद में भाग जाता था।

चांद मियां ने भी अपने पिता की ये कला सीखी और जगह जगह भेष बदलकर रहने लगा।

इसी क्रम में वो शिरडी के पास एक गांव में रुका, चूंकि उसका पहनावा और शरीर देखने में यवन के मुस्लिम की तरह लगा इसलिए उन लोगों ने चांद मियां को साईं का नाम दे दिया।

चांद मियां साईं बाबा कैसे बना

उस वक्त के सुलेमानी मुसलमानों ने अंग्रेजो से बचने और इस्लाम को फैलाने के लिए एक मस्जिद को ठिकाना बनाया और वहां चांद मियां को यह बोलकर ठहरा दिया की ये चमत्कारी बाबा हैं।

गांव के भोले भाले हिंदू ने इनके बहकावे में आकर इनको साईं बाबा की उपाधि दे दी।

उस वक्त शिरडी के आस-पास भयानक प्लेग फैला और सैकड़ों की संख्या में लोग मरने लगे।

उस वक्त साईं ने खुद की पहचान छुपाने और अंग्रेजो से बचने के लिए पूरे गांव में यह बोल दिया की जो भी इस गांव से बाहर जायेगा या बाहर से अंदर आएगा वो प्लेग से मर जायेगा।

लोगों ने डर कर गांव से कहीं आना जाना छोड़ दिया और इसका नतीजा ये हुआ कि प्लेग इस गांव में फैला ही नहीं और लोगों ने इसको साईं बाबा का चमत्कार माना।

इस घटना के बाद से लोगों के बीच में चांद मियां साईं बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

जो विज्ञान के विद्यार्थी हैं उनको पता होता है की अगर कोई बैक्टीरिया या वायरस जनित कोई रोग बड़े पैमाने पर फैले तो उस एरिया में आने जाने पर प्रतिबंध लगा कर आप बीमारी फैलने से रोक सकते हैं।

ठीक इसी तरह जैसे कोविड के समय में सबको घर पर बैठने को कहा गया था।

क्या घटनाएं ये प्रमाणित करती हैं की साईं मुस्लिम था

साईं हमेशा एक मस्जिद में रहता था जबकि कोई भी हिंदू मस्जिद में रहना पसंद नहीं करेगा। हिन्दू संत नीम, पीपल या बरगद के नीचे कुटिया बना कर रहते थे या किसी मंदिर में, जबकि साईं ने मस्जिद में रहना पसंद किया।

हिंदुओं में सिर पर सफेद कपड़ा बांधना वर्जित है जबकि साईं हमेशा अपने सिर पर एक सफेद कपड़ा बांधते थे जैसा की मुस्लिम लोग बांधते हैं। 

साईं ने हमेशा ये कहा है की “सबका मालिक अल्लाह है” जबकि टीवी सीरियल्स में यह दिखाया गया की साईं ने कहा “सबका मालिक एक है” जो की पूरी तरह मिथ्या है।

साईं बाबा नाम का उल्लेख हमारे किसी भी धर्म ग्रन्थ में नहीं है

साईं भोजन करने से पहले मस्जिद से कुरान मंगा कर पहले फतीहा पढ़ते थे फिर भोजन करते थे, कोई हिंदू भला भोजन के पहले कुरान क्यों मंगवाएगा।

साईं के मरने के बाद उनके कहे अनुसार उनको वहीं खोद कर दफना दिया गया जबकि हिंदुओ में जलाने की प्रथा है।

साईं को दमा था क्योंकि वो चिलम बहुत पीते थे, अब जो इंसान अपना दमा ना ठीक कर पाया वो प्लेग जैसी बीमारी कैसे ठीक कर सकता था।

साईं मालेगाव के फकीर पीर मोहम्मद को बहुत मानते थे और खुद को मिले दान का कुछ हिस्सा पीर मोहम्मद को दान देते थे। साईं कभी किसी हिन्दू संत से बात करना पसंद नहीं करते थे।

साईं बाबा बकरे का मांस बहुत चाव से खाते थे जबकि कोई भी हिन्दू संत मांस कभी नहीं खा सकता।

ऊपर लिखे गए सारे तथ्य उनके सेवक रहे गोविंद राव दाभोलकर ने अपनी पुस्तक “साईं सतचरित्र” में लिखा है।

सारे घटनाक्रम यहां लिखना संभव नहीं है इसलिए कोई भी यह किताब पढ़ कर खुद समझ सकता है की साईं बाबा का काला सच क्या है।

साईं को हिन्दू भगवान क्यों माना जाने लगा

साईं की असली मार्केटिंग सन् 1980 के बाद हुई जब टेलीविजन का दौर शुरू हो रहा था।

हिंदुओं को भ्रष्ट करने के लिए मुस्लिम देशों से फंडिंग शुरू हुई और कई सारे सीरियल्स साईं बाबा के बनने लगे।

लोगों ने सीरियल्स को ही सच मानकर साईं बाबा को पूजना शुरू कर दिया।

कुछ लोगों ने तो एक कदम आगे जाकर साईं को हिन्दू मंदिरो में स्थान देना शुरू कर दिया और यहां तक कि साईं की चालीसा तक बना दी गई। 

यह हिन्दू धर्म का दुर्भाग्य है की हिन्दू बिना इतिहास पढे किसी को भी मानने पूजने लगता है।

हिंदू मजार भी जायेगा जबकि मजार को मिलने वाला पैसा आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल होता है और तो और मजार-मस्जिद को जो भी दान चढ़ता है उसमे कोई टैक्स भी नहीं लगता जबकि मंदिर पर चढ़ने वाले दान पर सरकार टैक्स लेती है।

साईं को हिंदू देवी-देवताओं के बीच में स्थान देकर हिंदुओ ने अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारी है और एक मुस्लिम को अपने मंदिरो मे भगवान का दर्जा दे कर रखा है।

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